बात की बात
आज बात की बात, देश बात पे बात कर रहा है ।
देश की जनता काम की बात करती है, प्रधानसेवक मन की बात करते है ।
साहब खुश हो जाइए, लोकतंत्र मे बात की बात तो हो रही है भले ही वो मन की बात है ।
रवीश कुमार देश की बात करते है । देश काम की बात करता है ।
कुछ लोग सीधी बात करते है तो कुछ लोग टेढ़ी बात करते है, शुक्र है बात तो करते है ।
सरकार तस्वीर की बात करती है, मजदूर तकलीफ की बात करती है ।
सरकारी महकमा उपलब्धियों की बात करता है, गरीब जनता रोजी- रोटी की बात करता है ।
साहब ऐलान की बात करते है, समुदाय परेशानी की बात करते है ।
दिल्ली आकडे जुटाने की बात करती है, सड़क पर नंगे पाव चलते मजदूर रोटी जुटाने की बात करते है ।
महिलाये अधिकार की बात करती है, आदमी महिलाओ की बात करता है ।
चरखेवाला थाली भरने की बात करते है, चायवाला थाली पीटने की बात करते है ।
गरीब रास्ते मे है, भूखा सड़क पे, मरीज आस्पताल मे और बाबू आराम मे ।
गौर फरमाइएगा साहब अगर बात दिल की बात कर जाए ।
छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी नए दौर मे लिखेंगे मिल कर नई कहानी हम हिन्दुस्तानी ।
जी हाँ, दूर की बात कोरोना है, नजदीक की बात चुनाव है ।
तो फिर सियासत की बात है, सत्ता की बात है, सरकार की बात है, मन की बात है।
बात बात मे ये देश की आज की बात है, बात मे बात है ।
आप सहमत नहीं है तो आप की अलग बात है ।
साथियों बहुत बहुत शुक्रिया, धन्यवाद ।
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