मैं, ममता जाखड़ एक किसान की बेटी हूं। मैंने जैसे ही इस किसान आंदोलन के बारे में सुना तो मेरा भी मन किया कि मैं इस आंदोलन का हिस्सा बनूं। मैं अपने परिवार मेरी दो बेटी और पति के साथ जैसे ही इस आंदोलन में आई इस आंदोलन की महक और लोगों का जो गुस्सा मोदी सरकार के प्रति है वह काबिले तारीफ नजर आया। जिस प्यार, भाईचारे व वसुधैव कुटुंबकम की भावना यहां चरितार्थ होती है वह बहुत कम नजर आती है। जिस समाजवादी भारत का सपना हम देखते हैं वह यहां नजर आता है। यहां आया हुआ बच्चा-बच्चा चाहता है कि यह तानाशाही मोदी सरकार होश में आए और जनता किसान और मजदूरों पर यह काले कानून ने थोपे वरना सरकार को इसका अंजाम भुगतना होगा। यहां के लोगों का हौसला यह बता रहा है कि आंदोलन कितना भी लंबा चले, वे यह काले कानून रद्द करवा कर रहेंगे। कुछ लोग अपने घरों में यह बोल कर आए हैं कि इस कानून के वापस होने पर ही घर लोटेंगे, लोग इस तानाशाही सरकार के खिलाफ आर-पार के संघर्ष के लिए पूर्ण रुप से तैयार हैं।
यहां के पंजाबी, राजस्थानी साथियों का लंगर और उनका खाना काबिले तारीफ है। मैंने मेरे जीवन में ऐसा आंदोलन पहली बार देखा है। जिस भारत के बारे में मैंने कभी किताबों में पढ़ा था, जिस ‘विविधता में एकता’ या ‘अनेकता में एकता’ के बारे में हम किताबों में पढ़ते थे वह चरितार्थ हो रहा है। यहां के लोगों में जो भाईचारा है वैसा मैंने कहीं नहीं देखा। यहां लोग सर्दियों के कपड़े और हर तरह की जरूरत की वस्तुएं जरूरतमंद लोगों को दे रहे हैं। इंसानियत मानवता का परिचय किसान आंदोलन में ही नजर आता है। लोग जिस तरीके से मिलकर खाना बनाते हैं और जिस प्यार से लोगों को खिलाते हैं वह काम केवल एक किसान अन्नदाता ही कर सकता है। अन्नदाता किसान को ही पता है कि अनाज व जमीन की क्या कीमत होती है? आंदोलन में मोदी सरकार का हर कतारों द्वारा तानाशाही सरकार का कठोरता से विरोध हो रहा है और यह देश का बहुत बड़ा आंदोलन है और मुझे और मेरी बेटियों को गर्व है इस इतिहास का हिस्सा बनने पर।
दोस्तों ऐसी कहानियां इस आंदोलन के कोने कोने में छिपी हैं और यही इस आंदोलन की खूबसूरती है।
This artical was originally published by Mamta Jakhad in Trolley Times.
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